समेटने लगा है खुदा भी अपनी रहमतों का दरिया क्यूंकि हर इंसा खुदको खुदा जो समझने लगा है... ©Nikhil Kaushik #समेटने लगा है #खुदा भी अपनी #रहमतों का #दरिया #क्यूंकि हर #इंसा #खुदको खुदा जो #समझने लगा है... #Shayar #अल्फाज़