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सोच कर गई थी आंसू बचा लूंगी कोई कुछ भी कहे लब पर

सोच कर गई थी आंसू बचा लूंगी 
कोई कुछ भी कहे लब पर दबा दूंगी 
ठीक है , फरक क्या ही पड़ता है
ऐसा जता दूंगी ।।

बस सोच रखा था आना जाना तो है ही 
मिलना - गुमाना तो है ही
थोड़े महीनो की बात तो है ही
यूं पलक झपकते गुजार दूंगी ।।

पर वो दहलीज लांघते वक्त दिल भर आया 
आंखो ने तब तक तो साथ दिया 
पर जब मम्मी ने जब जोर से गले लगाया 
आंख सह नहीं पाया ।
खैर ठंड थी बहुत और अंधेरा भी 
आंखो को थोड़ा उनकी आंखों से बचाया ।।


पापा की शर्ट भीग ना जाए 
इसलिए आज उनसे दूर बैठी थी
वो भांप ना ले आंसुओ को 
इसलिए चुपचाप भी बैठी थी 
 शायद समझ रहे थे वो की 
 क्या चल रहा मेरे दिल ओ दिमाग में
 उन्होंने भी कुछ कहा नहीं 
 और अलविदा कहने का आखिर वक्त आया ।।


समझ आया कि उम्र की किसी भी दहलीज पर आपको घर याद आएगा।।
कितने भी बड़े हो जाए घर छोड़ते वक्त आंख और दिल दोनो भर आएगा।।
वो सुकून जो तुम छोड़ कर जा रहे, वो मुस्कुराहट जिसे तुम रुला रहे 
तुम्हे बहुत याद आएगा ।।।।

फिर भी घर वापसी की उम्मीद लिए हम निकल चुके है 
अपनो के लिए अपनो से दूर......

©anu kumari #घर #घर_की_याद #
सोच कर गई थी आंसू बचा लूंगी 
कोई कुछ भी कहे लब पर दबा दूंगी 
ठीक है , फरक क्या ही पड़ता है
ऐसा जता दूंगी ।।

बस सोच रखा था आना जाना तो है ही 
मिलना - गुमाना तो है ही
थोड़े महीनो की बात तो है ही
यूं पलक झपकते गुजार दूंगी ।।

पर वो दहलीज लांघते वक्त दिल भर आया 
आंखो ने तब तक तो साथ दिया 
पर जब मम्मी ने जब जोर से गले लगाया 
आंख सह नहीं पाया ।
खैर ठंड थी बहुत और अंधेरा भी 
आंखो को थोड़ा उनकी आंखों से बचाया ।।


पापा की शर्ट भीग ना जाए 
इसलिए आज उनसे दूर बैठी थी
वो भांप ना ले आंसुओ को 
इसलिए चुपचाप भी बैठी थी 
 शायद समझ रहे थे वो की 
 क्या चल रहा मेरे दिल ओ दिमाग में
 उन्होंने भी कुछ कहा नहीं 
 और अलविदा कहने का आखिर वक्त आया ।।


समझ आया कि उम्र की किसी भी दहलीज पर आपको घर याद आएगा।।
कितने भी बड़े हो जाए घर छोड़ते वक्त आंख और दिल दोनो भर आएगा।।
वो सुकून जो तुम छोड़ कर जा रहे, वो मुस्कुराहट जिसे तुम रुला रहे 
तुम्हे बहुत याद आएगा ।।।।

फिर भी घर वापसी की उम्मीद लिए हम निकल चुके है 
अपनो के लिए अपनो से दूर......

©anu kumari #घर #घर_की_याद #
anukumari7250

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