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तेरे-मेरे दरमियाँ रह जाती है कुछ शिकायत। तुम दूर ल

तेरे-मेरे दरमियाँ रह जाती है कुछ शिकायत।
तुम दूर लगते हो, चाहे जितनी भी हो चाहत।
दिल चाहे मेरा की तुझे बस अपने पास रखूं।
एक पल की भी दूरी से होती है मुझे नफ़रत।

है भरोसा की तुम भी मुझे भूल पाते नहीं।
ऐसा भी नहीं की मैं तुम्हें याद आती नहीं?
ग़र  मन तुम्हारा  भी नहीं लगता मेरे  बग़ैर-
तो ये बात तुम साफ़-साफ़ बताते क्यूँ नहीं? 

यूँ  दिन कट जाते है मेरे भी घरों के काम में।
मग़र मैं वक़्त चुराकर रखती हूँ बस तेरे लिए।
सरहदों के पास बैठ बस तुम्हें सोचा करती हूँ-
इतनी ही बेचैन रहती हूँ मैं जितनी कि ये लहरे! ♥️ Challenge-787 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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तेरे-मेरे दरमियाँ रह जाती है कुछ शिकायत।
तुम दूर लगते हो, चाहे जितनी भी हो चाहत।
दिल चाहे मेरा की तुझे बस अपने पास रखूं।
एक पल की भी दूरी से होती है मुझे नफ़रत।

है भरोसा की तुम भी मुझे भूल पाते नहीं।
ऐसा भी नहीं की मैं तुम्हें याद आती नहीं?
ग़र  मन तुम्हारा  भी नहीं लगता मेरे  बग़ैर-
तो ये बात तुम साफ़-साफ़ बताते क्यूँ नहीं? 

यूँ  दिन कट जाते है मेरे भी घरों के काम में।
मग़र मैं वक़्त चुराकर रखती हूँ बस तेरे लिए।
सरहदों के पास बैठ बस तुम्हें सोचा करती हूँ-
इतनी ही बेचैन रहती हूँ मैं जितनी कि ये लहरे! ♥️ Challenge-787 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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nehapathak7952

Neha Pathak

New Creator