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#OpenPoetry जिसे शक्ति बना के पूजते हो, उसी को इं

#OpenPoetry जिसे  शक्ति बना के पूजते हो,
उसी को इंसान बना के रौंधते हो,
जिसको देवी का दर्जा देते हो,
उसी को इंसान बना के पैरों की जूती समझते हो,
जिसे साल के नो दिन देवी का स्वरूप मानते हो,
उसी को इंसान बना के उसकी आबरू को तार तार करते हो,
जिसे देवी बना के उसके सम्मान में सर झुकाते हो,
उसी को इंसान बना के अपनी गंदी नज़र डालते हो,
जिसे भगवान मान कर उसकी मूर्तियों को हर गली हर चौराहे पे स्थापित करते हो,
उसी को इंसान बना कर हर गली हर चौराहे पे शर्मसार करते हो,
जिसे ये समाज  आदिशक्ति कहता हो,
उसी को इंसान बना के कमजोर समझते हो,
जिसे शक्ति बना के पूजते हो,
उसी को इंसान बना के रौंधते हो,
उसी को इंसान बना के रौंधते हो।
    _sy_ #OpenPoetry 

लोग खुद को भगवा रंग के पुजारी कहते है मगर उसकी तरह मान मर्यादा नही रखते ।।
🙏
#OpenPoetry जिसे  शक्ति बना के पूजते हो,
उसी को इंसान बना के रौंधते हो,
जिसको देवी का दर्जा देते हो,
उसी को इंसान बना के पैरों की जूती समझते हो,
जिसे साल के नो दिन देवी का स्वरूप मानते हो,
उसी को इंसान बना के उसकी आबरू को तार तार करते हो,
जिसे देवी बना के उसके सम्मान में सर झुकाते हो,
उसी को इंसान बना के अपनी गंदी नज़र डालते हो,
जिसे भगवान मान कर उसकी मूर्तियों को हर गली हर चौराहे पे स्थापित करते हो,
उसी को इंसान बना कर हर गली हर चौराहे पे शर्मसार करते हो,
जिसे ये समाज  आदिशक्ति कहता हो,
उसी को इंसान बना के कमजोर समझते हो,
जिसे शक्ति बना के पूजते हो,
उसी को इंसान बना के रौंधते हो,
उसी को इंसान बना के रौंधते हो।
    _sy_ #OpenPoetry 

लोग खुद को भगवा रंग के पुजारी कहते है मगर उसकी तरह मान मर्यादा नही रखते ।।
🙏