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चाहत भरी उड़ान मेरी, ऊँची आकांक्षाओं की डोर, अंतर्

चाहत भरी उड़ान मेरी, ऊँची आकांक्षाओं की डोर,
अंतर्द्वंद्व से भरा  हृदय  हमारा, करता  रहा है शोर।
जानें कब  अंत होगा  तिमिर, जानें कब होंगी भोर,
सुनकर  अंतर्रात्मा  की  पुकार, घर-द्वार  को छोड़,
मन एकाग्रचित्त कर  निकल पड़ा,  लक्ष्य की ओर। Collab challenge - 6 
➡️ पंक्तिया - 2 - 5
➡️ समय सीमा - 8:30 am ( 13 June 2021)
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चाहत भरी उड़ान मेरी, ऊँची आकांक्षाओं की डोर,
अंतर्द्वंद्व से भरा  हृदय  हमारा, करता  रहा है शोर।
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सुनकर  अंतर्रात्मा  की  पुकार, घर-द्वार  को छोड़,
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