"तेरे मृदुल मृदुल कपोल" जीवन का संस्मरण है स्मरण उसे भूल जाना है मुश्किल, छूआ जिनको इन हाथों, होठों ने, तेरे वे मृदुल मृदुल कपोल, उन आलिंगनों के मध्य रहकर, कांटे टूटे मैं रहा अकेला फूल, परिरंभणों के काल में मेरे थे, तेरे वे मृदुल मृदुल कपोल, बीत जाने की चाह थी वहाँ, तेरी प्रकृति थी मेरे अनुकूल, जिन्होनें मुझसे किया प्रेमानुवाद, तेरे वे मृदुल मृदुल कपोल, सौन्दर्यता की थी पराकाष्ठा वो, कर नहीं सकता उनका मोल, जिनको लगाकर अनुभूति हुई, तेरे वे मृदुल मृदुल कपोल, अंबर जैसी स्वच्छता जिनकी, उनके आस पास न थी कोई धूल, मैं सिमटता रह गया उन पर, तेरे वे मृदुल मृदुल कपोल, khetdan charan #nojoto #love #shayri #shayri