ख़्वाहिश और जरुरत रह ही जाती है अधूरी कुछ ख्वाहिशें... जिमेदारियों का बोझ उठाते उठाते... पता ही न चला कब ताल से बेताल हो गए... गीत ज़िन्दगी जीने के गाते गाते.... जेसीपी जसवीर 9872812115 #खाहिश