पल दो पल की है ये ज़िन्दगी देखते देखते ही तमाम हो जाती है बड़ी मुश्किल से रात ढली थी पलक झपकते ही शाम हो जाती है कभी वो नाम दोहराता है दिल कभी धड़कनें सारी बेनाम हो जाती हैं कभी आईना बनती थीं उनका अब आँखें छलकता जाम हो जाती हैं #शाम_ए_उल्फ़त