पंखुड़ी (भाग 6) काव्य अपनी माँ की बातें सुन अपने कमरे में आ जाती है कमरे में आते ही उसे खिड़की के पास मुड़ा तुड़ा सा कागज मिला उसमे लिखा था "कैसे भी करके घर आ जाओ दीदी... पंखुड़ी " पढ़ते ही काव्य दौड़ कर सामने वाले घर मे जाती है आँगन में बैठी रमेश की माँ से बात कर काव्य पंखुड़ी के कमरे में चली जाती है काव्य के आते ही पंखुड़ी कुण्डी लगा उससे लिपट के रोने लगती है वो कहती है "दीदी मुझे बचा लो, मुझे यहाँ से जाना है मेरी मदद करदो, मेरे चाचा ने मुझे इसे बेच दिया, मैं नयी शुरुआत के सपने सजा के इसके साथ आयी पर ये भेड़िया मुझे हाड़ मांस का ढांचा समझ नोचता है, इससे पहले ये मुझे पूरा खा जाये मुझे बचा लो दीदी !!!!!!! काव्य ने अब सोच लिया के वो पंखुड़ी को इस सबसे बाहर निकलेगी उसने कहा "मेरे भैया तुम्हें पसंद शायद प्यार ही करने लगे है अगर तुम मुझपे भरोसा कर सको तो मेरे भैया के साथ आज रात की ट्रैन से बैंगलोर चली जाओ, तुमसे शादी करना चाहते है भैया. दीदी तुम्हारे भैया मुझे स्वीकार कर पाएंगे? उनका मन तुम्हें पहले ही स्वीकार चुका है मेरा विस्वास कर भैया के साथ चली जाओ "दीदी ये जीवन बहोत दुश्वार है, तुम मुझे यहाँ से निकाल दो फिर तुम जहाँ कहोगी, जिसके साथ कहोगी मैं चली जाऊंगी, बस मुझे यहाँ से बचा लो" ठीक है.. मेरा इंतजार करना शाम को खिड़की पर 7बजे अब मैं जाती हुँ वहाँ से आकर सीधा वेद के कमरे मे जाती है "भैया उसे अपने साथ ले जाओ वो उसे नोच नोच के खा जायेगा "काव्य की आँखों में आँसू थे "क्या हुआ, रो क्यों रही है, किसे ले जाऊ अपने साथ?? पंखुड़ी को... काव्य ने कहा पंखुड़ी? हाँ भैया..पंखुड़ी वो शादी शुदा है काव्य,रमेश उसका पति है भैया आदमी का आदमी होना ही उसका सबसे बड़ा उपहार तो नहीं हो सकता न और पति ही लड़की के जीवन का सर्वश्रेठ पुरुष को ये जरूरी है? तुम तो उससे प्यार करने लगे हो न भैया तो बचा लो उसे उसने मुझसे मदद मांगी है भैया, वो आदमी उसका पति नहीं बेचा है उसके चाचा ने उसे हाँ... शायद उसे देखते ही मुझे उससे प्यार हो गया, उसे देख ऐसा लगा इसके साथ जीवन आराम से गुजरेगा, पर क्या वो मेरे साथ जाएगी? उसकी मर्जी के बिना मै उसे नहीं ले जा सकता. (काव्य )भैया वो तैयार है बस आप हाँ करदो (वेद )ठीक है पर कैसे होगा सब?? बैंगलोर की 2 टिकट बुक करो अपना सामान पैक करो, उसमे मैं अपने कपड़े भी रख दूंगी पंखुड़ी के काम आएंगे, तुम स्टेशन पर उसका इंतजार करना, रात की रेल से दोनों निकल जाना.. #पंखुड़ी (भाग 6)