फिर यूँ हुआ की एक रोज़ मुझे गम मिल गया फुर्सत में रहते थे सारे दिन फिर तुम्हे सोचते रहने का काम मिल गया मुझे छोड़ कर हर किसी को जैसे कोई ना कोई शख्स मिला हैं देखो मेरी कलम ✍ को भी कागज़ मिल गया #दिपकमल ✍💔 29/3/2021 ©Deep kamal