अनपढ़ हूँ पर अनगढ़ नहीं राह में पड़ा कंकड़ नही विषम समाज की प्रतिछाया हूँ चिकना चुपड़ा दर्पण नहीं आखर बेशक कम हों मुझमे दर्प छलकता कीचड़ नहीं मत समझो मैं गुणों से रीता प्रेम में मुझसा समर्पण नहीं Challenge 8- अनपढ़ हूँ 6 - 8 पंक्तियों की रचना कर प्रतियोगिता में भाग लें। #yqbaba #yqdidi #tmkosh 🎯 पंक्तियों की संख्या को 6 से 8 तक करने का उद्देश्य आप सभी रचनाकारों की लेखनी को स्वतंत्र करना है। ♦️#collab करने के बाद विषय के comment में Done लिखें। ♦️ रचना चुनी जाने के बाद दुसरे दिन के विषय पर रचना लिखी जाने पर ही उसे विजयी घोषित किया जायेगा। ♦️ कृपया 11:00 pm तक अपनी रचनाएँ भेज दें। ♦️ इन सभी रचनाओं में से एक रचना को टीम द्वारा विजयी 🏅घोषित किया जायेगा परन्तु इसका यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि और सभी रचनाएँ अच्छी नहीं हैं।