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रफ़्ता रफ़्ता सरूर होता है, तिरछी नज़रे मंसूर होत

रफ़्ता रफ़्ता सरूर होता है, 
तिरछी नज़रे मंसूर होता है, 
आशिकों में शामिल क्या हुए
मंजिले मकसूद होता है।

©Senty Amarjit
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