" तुम्हारा दामन छोड़कर मेरे गले आन पड़ी है । बदलती हवाओं को मेरी तबियत पहचान पड़ी है । ये सुलगता जिस्म अब दवा मांगे है, अधर में अटकी मेरी जान पड़ी है । 'जुगनू' अपना दुख सुनाये तो सुनाये किसे, अंधेरी रात ये कब से सुनसान पड़ी है । " -- जुगनू #rdv19 #NojotoHindi #Shayri #Ghazal #Nojoto #Jugnu एक बीमार शरीर की व्यथा शायरी बन कर निकल रही है - "तुम्हारा दामन छोड़कर मेरे गले आन पड़ी है । बदलती हवाओं को मेरी तबियत पहचान पड़ी है । ये सुलगता जिस्म अब दवा मांगे है,