बहुत छोटी आयु में उस ज्ञान ओर अनुभव को पा लिया है साहब । इतिहास साक्षी है इसमें हमारा नहीं हमारे वंश का प्रभाव है । हंस का छोटा बच्चा आकाश कीं उन उचाईयों पर जा सकता है । सागर कीं लम्बी दूरी को नाप कर वापस अपने ठिकाने पर माता पिता के साथ ही ठहरता है । सागर से निकले हीरे मोती को पचाने की क्षमता ईश्वर ने उसी पंक्षी के वंश को प्रदान कीं है । फिर भी दुनिया के आलोचकों ने उस अनूठे पंछी की क्षमता ओर विशेषताको पहचानने कीं भूल ही है ।। एन.एस.राठौर हंस