देख देर रात कुहासे की चादर मन मे ख्याल उमड़ आया, गहरी अंतश्चेतना में जा,उस वीर को दिल नमन कर आया, नमन है उस माँ को,जो छाती से दुग्ध में साहस है पिलाया, शतबार नित शीश झुकाऊँ जो हिमपात पर पहरा लगाया, न करते परवाह जीवन की, सरहद पर दुश्मन का लहू बहाया, आज उनकी ही नेमत से ये तिरंगा शान से एवरेस्ट पर लहराया। 🌝प्रतियोगिता-103 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"कुहासे की चादर "🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I