"नारी - अब तेरी बारी है " - Trinathsen दरिंदगी, छेड़छाड़ और ये बलात्कार | इन्ही किस्सों की अख़बार के हर पृष्ठ पर भरमारी है | - शस्त्र उठा ले नारी अब तेरी बारी है (1) वो जमाना और था जब आते थे श्री कृष्ण बचाने लाज द्रोपदी की, पर आज के कलयुग मे लोगों के सोच में ही बीमारी है | शस्त्र उठा ले नारी अब तेरी बारी है (2) कभी ना बदले सोच इनकी, नाजाने संस्कारो का कब दस्तक होगा? कल के अखबारों में फिर हमारा झुका मस्तक होगा | कैसे रोके इन्हे यही जंग जारी है - शस्त्र उठा नारी अब तेरी बारी है (3) हालत एसे हैँ की पग की आहट और हवा की सरसराहट, रास्ते में चलते हुवे भी तेरे मन में डर भारी है, फिर ना लुटे इज्जत कल कोई, आज यही तैयारी है शस्त्र उठा नारी अब तेरी बारी है (4) लोगों में हवस देख मासूमियत बनी बेचारी है, जगह जगह होते अनाचार, अब हैवानियत इंसानों पर भारी है | -शस्त्र उठा नारी अब तेरी बारी है (5) लूटी तेरी इज्जत सदा पर समाज को चिंता नहीं, वो कहते हैँ लायेंगे बदलाव पर, ये सभी बातें मिथ्या रही | यहाँ बलात्कारी सड़कों पर नारी फिर से बेबस बेचारी है | - शस्त्र उठा नारी अब तेरी बारी है (6) धर्म - जाति भेद भेद करके, राजनीती अपनाते हैँ, दो दिन का कैंडल-मार्च करके खुद को देशभक्त बतलाते हैँ | एसे दूषित कलयुग में नये परिवर्तन की तैयारी है, - शस्त्र उठा नारी अब तेरी बारी है |(7) कब तक सहेगी? डरती रहेगी? बेबस, बेचारी किरदार के अंत की बारी है | शस्त्र उठा नारी अब तेरी बारी है (8) अनाचार, अत्याचार हूवा है बहूत अभी, सहना करदे बंद अब परिवर्तन की बारी है | दिखा दे समाज को तू ही दुर्गा काली है, पापियों के अंत की तेरे रूप प्रचंड की, ये नये युग की नारी है, शस्त्र उठा नारी अब तेरी बारी है |(9) तेरी शशक्तता ही तेरा रक्षक है, दुनिया के कुछ लोग ही बन बैठे भक्षक हैँ, इनकी गन्दी सोच पर, तेरा जज्बा भारी है | शस्त्र उठा नारी अब तेरी बारी है |(10) नये सूरज के संग अब स्त्री भी मर्दानी होगी, अब स्त्री स्वयं तुझे अपनी लाज बचानी होगी, तू कर प्रयास अब, ना तू हारी थी ना ही कभी हारी है, शस्त्र उठा नारी अब तेरी बारी है |(11) रचनाकार - त्रिनाथ सेन Instagram = i_am_trinathsen " नारी - अब तेरी बारी है " "नारी - अब तेरी बारी है " - Trinathsen दरिंदगी, छेड़छाड़ और ये बलात्कार | इन्ही किस्सों की अख़बार के हर पृष्ठ पर भरमारी है | - शस्त्र उठा ले नारी अब तेरी बारी है (1) वो जमाना और था जब आते थे श्री कृष्ण बचाने लाज द्रोपदी की, पर आज के कलयुग मे लोगों के सोच में ही बीमारी है |