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इससे मिलूँ, उससे मिलूँ ये चाव खो रहा अब! देख, रु

इससे मिलूँ, उससे मिलूँ 
ये चाव खो रहा अब! 
देख, रुक गई जिंदगी
सारा गाँव सो रहा अब!
 ये वाला वैसे 500वां होगा 🙏 
पूरी कविता नीचे पढ़ें
👇

पिंजरे का सौदागर 
पिंजरे में कैद है! 
कल के बेफ़िक्रे, आज 
हर कदम मुस्तैद है!
इससे मिलूँ, उससे मिलूँ 
ये चाव खो रहा अब! 
देख, रुक गई जिंदगी
सारा गाँव सो रहा अब!
 ये वाला वैसे 500वां होगा 🙏 
पूरी कविता नीचे पढ़ें
👇

पिंजरे का सौदागर 
पिंजरे में कैद है! 
कल के बेफ़िक्रे, आज 
हर कदम मुस्तैद है!