भीड़ में गैरों के बीच, गिर कर उठ जाती हूं मै। खुद के ही चोट पर भी औरो सा मुस्काती हूं मै। मगर क्यों? क्यों हर बार आंखों की नमी सबसे छिपाती रहती खुद के आहो की हसी खुद ही उड़ाती रहती! केवल आैरो सा बनने को , केवल अौरो सा दिखने को, मै रूह की धधकती उठती , पल पल जलती अग्न को बुझाती , झूठ कह फिर से अपने तमाशे को भूलती हूं! और तन्हाई मिली तो फिर से जज्बातों का तमाशा बनती हूं! मगर क्यों? ना जाने क्यूं हम खुद का ही तमाशा बनाते है ,केवल दूसरो के लिए। #yqbaba #yqdidi #bestyqhindiquotes Best YQ Hindi Quotes #yqtales #tamasha ##speakerseniorapmaa