बहुत पहले सुलगती सांसों में इश्क की रवानी भरते है कुछ बातें नई, तो कुछ पुरानी करते है हर अधूरे किस्से को आज कहानी करते है थोड़ी सी शरारत, थोड़ी मनमानी करते है हर भूली-बिसरी याद आज बेगानी करते है हर कसूर, हर इल्जाम की नाफरमानी करते है दिल के जख्मों से आज आंखों में पानी भरते है थोड़ी सी ईमानदारी, थोड़ी बेईमानी करते है इन ओस की बूंदो से चांद आसमानी करते है आज दूध का दूध, और पानी का पानी करते है ©Manku Allahabadi दूध का दूध, पानी का पानी ................................................................ सुलगती सांसों में इश्क की रवानी भरते है कुछ बातें नई, तो कुछ पुरानी करते है हर अधूरे किस्से को आज कहानी करते है थोड़ी सी शरारत, थोड़ी मनमानी करते है