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मृदुल हवा चली भावनाएं संतुष्ट होने की वजह ढूंढ लेत

मृदुल हवा चली भावनाएं संतुष्ट होने की वजह ढूंढ लेती है,
आसिम हूँ मैं जो खुद को तकलीफ देने की वजह ढूंढ लेती हूंँ,

मतलब परस्त यह दुनिया आंसुओं की आराईश लिए बैठी हूंँ,
अपने मन मंदिर में है मेरे धड़कनों में उनका आलाप ढूंढ लेती हूंँ,

यह जिंदगी यूंँ ही खिलखिलाने की वजह ढूंढ लेती हैं,
सुनिश्चित है मेरी खुशियां अब वजह अंजाम ढूंढ लेती हैं,

तस्कीन होती हूँ,  तेरा साथ पाकर प्रिय,
तेरी बातों के स्पर्श से आलिंगन का आराम ढूंढ लेती हूंँ,

पलाश के फूलों को यूं हवा में उड़ा कर मिलती है जो खुशी,
खुद को सहला कर प्रकृति की गोद में मैं जन्नत का सुकून ढूंढ लेती हूंँ। दिशा निर्देश:

🎶 समय सीमा: परसों 02:00 बजे तक।

🎶 शब्द सीमा : कविता Caption में नहीं होनी चाहिए।

🎶 जिस चित्र पर रचना दी गयी है, वो चित्र ही बैकग्राउंड में होना चाहिए, इसके सिवा अगर कुछ हुआ, तो रचना मान्य नहीं होगी।
मृदुल हवा चली भावनाएं संतुष्ट होने की वजह ढूंढ लेती है,
आसिम हूँ मैं जो खुद को तकलीफ देने की वजह ढूंढ लेती हूंँ,

मतलब परस्त यह दुनिया आंसुओं की आराईश लिए बैठी हूंँ,
अपने मन मंदिर में है मेरे धड़कनों में उनका आलाप ढूंढ लेती हूंँ,

यह जिंदगी यूंँ ही खिलखिलाने की वजह ढूंढ लेती हैं,
सुनिश्चित है मेरी खुशियां अब वजह अंजाम ढूंढ लेती हैं,

तस्कीन होती हूँ,  तेरा साथ पाकर प्रिय,
तेरी बातों के स्पर्श से आलिंगन का आराम ढूंढ लेती हूंँ,

पलाश के फूलों को यूं हवा में उड़ा कर मिलती है जो खुशी,
खुद को सहला कर प्रकृति की गोद में मैं जन्नत का सुकून ढूंढ लेती हूंँ। दिशा निर्देश:

🎶 समय सीमा: परसों 02:00 बजे तक।

🎶 शब्द सीमा : कविता Caption में नहीं होनी चाहिए।

🎶 जिस चित्र पर रचना दी गयी है, वो चित्र ही बैकग्राउंड में होना चाहिए, इसके सिवा अगर कुछ हुआ, तो रचना मान्य नहीं होगी।
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