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रूठ कर यूँ ऐसे , ना जान लिया करो वार ही हो करना ,

रूठ कर यूँ ऐसे , ना जान लिया करो
वार ही हो करना , तो जरा - सा मुस्कुरा दिया करो
तुम्हारी तो हर अदा है कातिल , जो हर रोज मेरे दिल को चीर जाती है
तुम्हारी ये तिरछी - तिरछी कनखी , मेरे दिल में उतर जाती है
भीड़ हो या तन्हाई , बस तू ही तू नजर आती है
तेरे इन रसीले अधरों का मद , बिन पिये होश तन का खो जाता है
फिर रूठना किस बात का , तुम्हारा हर काम तो कहते ही पूरा हो जाता है
Written by sonu sharma
रूठ कर यूँ ऐसे , ना जान लिया करो
वार ही हो करना , तो जरा - सा मुस्कुरा दिया करो
तुम्हारी तो हर अदा है कातिल , जो हर रोज मेरे दिल को चीर जाती है
तुम्हारी ये तिरछी - तिरछी कनखी , मेरे दिल में उतर जाती है
भीड़ हो या तन्हाई , बस तू ही तू नजर आती है
तेरे इन रसीले अधरों का मद , बिन पिये होश तन का खो जाता है
फिर रूठना किस बात का , तुम्हारा हर काम तो कहते ही पूरा हो जाता है
Written by sonu sharma