कोशिशें थकी नहीं मुझमें, बहुत जान अभी भी बाकी है, हौसले टूटेगी नहीं, कुछ पाने का अरमान अभी बाकी है। हम हैं जो तूफ़ानों से टकराकर, उसका रूख मोड़ देते हैं, नाम से पहचान नहीं, मुझमें आत्मसम्मान अभी बाकी है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-131 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।