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मेरी हां मैं भी तुम मेरी ना में भी तुम.. मेरे साथ

मेरी हां मैं भी तुम मेरी ना में भी तुम..
मेरे साथ में भी तुम मेरे एकांत में भी तुम
मेरी हर बात में भी तुम चुपचाप में भी तुम
शहर के धूप में भी तुम गांव की छांव में भी तुम
व्यर्थ सांस में भी तुम निस्वार्थ आश में भी तुम
मेरी खामोशी में भी तो मेरी हर बात में भी तुम
हां नहीं आता मुझे रहना गुमसुम
अगर रही गुमसुम तो उसके जज्बात ने भी तुम

तुम ही तुम बस तुम हो तुम...!!!!!!!

ना बोलूं अगर तो बंद कानों में तुम
बोलूं अगर तो सारे जुबानों में तो
मैं रहूं अगर जिंदा तो सांसों में तुम
और अगर छूटे प्राण तो अंतिम लम्हातों में तुम
मेरी वेदना की अग्नि की झंझट मे तुम
मेरी सोच शिथिल ठंडक में तुम...
तुम ही तुम... बस तुम ही तुम!!!!
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©Gudiya Gupta (kavyatri).....
  #, तुम ही तुम

#, तुम ही तुम #विचार

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