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प्रिय डॉ साहिबा आप और आपकी शालीनता ने बहुत ज्यादा

प्रिय डॉ साहिबा

आप और आपकी शालीनता ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है मुझे..।

आपको बहुत दिन से पत्र लिखकर धन्यवाद कहने की सोच रहा था पर इंतजार में दिन निकलते गए..। 

आज कलम ने कहा कि आज तो मौका भी है और दस्तूर भी, तो क्यों ना डॉ साहिबा को एक चिट्ठी लिखी जाए और उनसे कुछ संस्मरण साझा किए जाए..। 

पहला संस्मरण :-
                 मुझे आज वो दिन याद है जब आपसे पहली बार बात हुई थी, दिनांक 7th मई, समय 8:51 रात के, उस समय पूरा भारत जिस समस्या से गुजर रहा था उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है, पर जिस सहजता से आपने मेरी पूरी बात सुनी और सलाह दी, वह मुझे आज भी याद है।        प्रिय डॉ साहिबा

आप और आपकी शालीनता ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है मुझे..।

आपको बहुत दिन से पत्र लिखकर धन्यवाद कहने की सोच रहा था पर इंतजार में दिन निकलते गए..। 

आज कलम ने कहा कि आज तो मौका भी है और दस्तूर भी, तो क्यों ना डॉ साहिबा को एक चिट्ठी लिखी जाए और उनसे कुछ संस्मरण साझा किए जाए..।
प्रिय डॉ साहिबा

आप और आपकी शालीनता ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है मुझे..।

आपको बहुत दिन से पत्र लिखकर धन्यवाद कहने की सोच रहा था पर इंतजार में दिन निकलते गए..। 

आज कलम ने कहा कि आज तो मौका भी है और दस्तूर भी, तो क्यों ना डॉ साहिबा को एक चिट्ठी लिखी जाए और उनसे कुछ संस्मरण साझा किए जाए..। 

पहला संस्मरण :-
                 मुझे आज वो दिन याद है जब आपसे पहली बार बात हुई थी, दिनांक 7th मई, समय 8:51 रात के, उस समय पूरा भारत जिस समस्या से गुजर रहा था उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है, पर जिस सहजता से आपने मेरी पूरी बात सुनी और सलाह दी, वह मुझे आज भी याद है।        प्रिय डॉ साहिबा

आप और आपकी शालीनता ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है मुझे..।

आपको बहुत दिन से पत्र लिखकर धन्यवाद कहने की सोच रहा था पर इंतजार में दिन निकलते गए..। 

आज कलम ने कहा कि आज तो मौका भी है और दस्तूर भी, तो क्यों ना डॉ साहिबा को एक चिट्ठी लिखी जाए और उनसे कुछ संस्मरण साझा किए जाए..।