हर पल हर क्षण हर तरह से असुरक्षित हैं भारत की बेटियां गर्भ में हत्या करतें थें जब बोझ लगतीं थीं बेटियां लाखों हाथ उठे दुआ में तो जन्म लेने लगीं बेटियां पढ़-लिख आगे बढ़ी पिता का अभिमान हुई बेटियां चूल्हा-चौका और दफ्तर सब अच्छे से सँभालती हैं बेटियां मेहनत और लगन से काम कर नाम रोशन कर रहीं हैं बेटियां जब घर से बाहर निकलें तो बेख़ौफ़ निडर रह सकें बेटियां परिवर्तन करो सोच में ताकि सड़कों पर सुरक्षित चल सकें बेटियां ©Khüśhßôô Jâiñ #असुरक्षितबेटियाँ #poetry #part2