तुम तो नहीं!.. तुम्हारे खत जीने का आधार हो गए, तुम्हारे प्यार में कि हम पढ़े-लिखे बेज़ार हो गए। आज बैठे तनहाई में याद करते हैं वह पल अंखियों में आंसू दे गए, कब तुम कहां करते थे हमें,हम तुम्हारे सर का ताज हो गए, तुम्हारी मीठी मीठी बातों में आकर हम भी गुलज़ार हो गए। क्या पता था हमको यह सब दिखावा है,तुम्हारा प्यार तो सिर्फ एक छलावा है, हमारी कब्र पर आकर रोने वाले तुम दुनिया के लिए खुदाई अवतार हो गए, असलियत तुम्हारी या तो हम जाने या तुम्हारे ख़त और जाने सिर्फ, तुम्हारी कलम हम तीनों राजदार तुम्हारे याद में फना हो गए। 🎀 Challenge-457 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।