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गला घोंट दिया अरमानों का, अरमानों के ही खातिर तुम

 गला घोंट दिया अरमानों का,  अरमानों के ही खातिर तुमने
 सालों का प्रेम  त्याग दिया, क्षणिक प्यार के खातिर तुमने
 तोड़ दिए वो सारे बंधन,मर्यादा और आस की 
लाज गंवा दी, बापू के पगड़ी और विस्वास की 
बचपन में जब रोती थी, तब बापू ही पुचकारा करते 
खुद के लिए नहीं कुछ करते,पर तेरे हर दुःख को हरते 
माता ने भी खूब कष्ट उठाये,उनके भी कुछ ख्वाब थे
वो गीले में सोई सालों, सूखे में तो आप थे
 गला घोंट दिया अरमानों का,  अरमानों के ही खातिर तुमने
 सालों का प्रेम  त्याग दिया, क्षणिक प्यार के खातिर तुमने
 तोड़ दिए वो सारे बंधन,मर्यादा और आस की 
लाज गंवा दी, बापू के पगड़ी और विस्वास की 
बचपन में जब रोती थी, तब बापू ही पुचकारा करते 
खुद के लिए नहीं कुछ करते,पर तेरे हर दुःख को हरते 
माता ने भी खूब कष्ट उठाये,उनके भी कुछ ख्वाब थे
वो गीले में सोई सालों, सूखे में तो आप थे