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दरिंदगी उस छोटी बच्ची से हैवानियत की सारी हदें पा

दरिंदगी उस छोटी बच्ची से

हैवानियत की सारी हदें पार कर दी हैवानों ने
 जब की दरिंदगी उस छोटी बच्ची से ,
भूखे दरिंदों ने गिद्धों की तरह नोंच-नोंच कर
 उस बच्ची की आबरू तार-तार कर दी।
बना उसको अपनी हवस का शिकार उसके
 जिस्म को उधेड़ निर्मलता से नोच डाला
ना आई दया उन्हें उसकी मासूमियत पर ना 
दर्द को समझा जब उसे हवस से दबोचा।
शरीर पसीने से तरबतर हो कर कांप रहा होगा
 असहनीय दर्द का अहसास हो रहा होगा।
एक- एक पल में कई-कई मौत मर रही होगी
 जब उसकी रूह छलनी कर रहे होंगे।
आंखों से आंसू झड़ रहे होंगे, सांसे थम सी 
गई होंगी चेहरे की रंगत उड़ गयी होगी।
मासूम सा चेहरा घृणा से भर भावशून्य 
होकर वेदना से तड़पकर मुरझा गया था।
अपने मन की व्यथा वह कैसे किसी को समझाती
उसके हालात उसका हाल बयां कर रहे थे
कुछ नजरें घृणा से देखकर कई सवाल कर रही थी
कोई भी उसके जख्मों पर मरहम ना लगा रहा था।
लग रहा था जैसे सब उसे ही कसूरवार कह रहे थे।
जुबां खामोश होकर खुद से सवाल कर रही थी।
उसका कोमल मन अपनी गलती समझ नहीं पा रहा था।
लोगों से सुना की लड़की है इसलिए ऐसा हुआ
उसका अंतर्मन कचोट कर उससे सवाल करने लगा।
 कि क्या लड़की होना ही उसका कसूर है?
 क्या लड़की होना ही उसका सबसे बड़ा कसूर है?
-"Ek Soch" #sanjaysheoran
#ritiksheoran
#साहित्यिक सहायक
#अखंड आर्यावर्त
#दरिंदगी उस छोटी बच्ची से
दरिंदगी उस छोटी बच्ची से

हैवानियत की सारी हदें पार कर दी हैवानों ने
 जब की दरिंदगी उस छोटी बच्ची से ,
भूखे दरिंदों ने गिद्धों की तरह नोंच-नोंच कर
 उस बच्ची की आबरू तार-तार कर दी।
बना उसको अपनी हवस का शिकार उसके
 जिस्म को उधेड़ निर्मलता से नोच डाला
ना आई दया उन्हें उसकी मासूमियत पर ना 
दर्द को समझा जब उसे हवस से दबोचा।
शरीर पसीने से तरबतर हो कर कांप रहा होगा
 असहनीय दर्द का अहसास हो रहा होगा।
एक- एक पल में कई-कई मौत मर रही होगी
 जब उसकी रूह छलनी कर रहे होंगे।
आंखों से आंसू झड़ रहे होंगे, सांसे थम सी 
गई होंगी चेहरे की रंगत उड़ गयी होगी।
मासूम सा चेहरा घृणा से भर भावशून्य 
होकर वेदना से तड़पकर मुरझा गया था।
अपने मन की व्यथा वह कैसे किसी को समझाती
उसके हालात उसका हाल बयां कर रहे थे
कुछ नजरें घृणा से देखकर कई सवाल कर रही थी
कोई भी उसके जख्मों पर मरहम ना लगा रहा था।
लग रहा था जैसे सब उसे ही कसूरवार कह रहे थे।
जुबां खामोश होकर खुद से सवाल कर रही थी।
उसका कोमल मन अपनी गलती समझ नहीं पा रहा था।
लोगों से सुना की लड़की है इसलिए ऐसा हुआ
उसका अंतर्मन कचोट कर उससे सवाल करने लगा।
 कि क्या लड़की होना ही उसका कसूर है?
 क्या लड़की होना ही उसका सबसे बड़ा कसूर है?
-"Ek Soch" #sanjaysheoran
#ritiksheoran
#साहित्यिक सहायक
#अखंड आर्यावर्त
#दरिंदगी उस छोटी बच्ची से