*📝“सुविचार"*📚 ✨ *1/9/2021*🖋️ 🖊️ *“बुधवार*📘 आपने ये तो सुना होगा कि एक “नन्हा सा बालक” “ईश्वर का स्वरूप” होता है,अब भला ऐसा क्यों कहा जाता है ? आपने ये सोचा, आप किसी नन्हें से “बालक” को देखिए वो क्या करता है, वो सबको “समान दृष्टि” से देखता है, उसके “मन” में न तो कोई “छल” है ना ही “कपट” है, न “अहंकार है और न ही किसी बात की “चिंता” है, सबको “समान दृष्टि” से देखता है और “स्वयं में ही प्रसन्न” रहता है, “सारे विकारों” से “मुक्त” यहीं तो सारे गुण है उस नन्हें बालक में जो “ईश्वर का स्वरूप” होते है,सोचिए हर एक “मनुष्य” इस “नन्हें बालक” की भांति ये “सारे गुण” अपने भीतर “जाग्रत” कर ले तो क्या होगा? वो भी “ईश्वर तुल्य” ही बन जाएगा तो आप भी ऐसा ही किजिए, इस “मन को मुक्त” किजिए इन “विकारों” से एक “नन्हें बालक” की भांति, “कोशिश” किजिए कि “मन” में कोई “चिंता”,“क्रोध”, किसी प्रकार का “छल कपट” इनको “समान दृष्टि” से देखिए आप “स्वयं में प्रसन्न” रहना सीख जाएंगे.. 🖋️*अतुल शर्मा✨* ©Atul Sharma *📝“सुविचार"*📚 ✨ *1/9/2021*🖋️ 🖊️ *“बुधवार*📘 #“नन्हा सा बालक” #ईश्वर का स्वरूप”