अंतरराष्ट्रीय जगत में अब युद्ध की उपाधि और नैतिकता को पूर्णता अवधारणाओं के तौर पर देखा जाने लगता है विज्ञान वैज्ञानिक युद्ध सा एवरयुथ व्यापार और अंतरिक्ष युद्ध के बाद में कमरों में जगह पा रही थी आधार परंपरा युद्ध की जगह परंपरागत सैनी तरीके से बिना रकबा ही शत्रु को पराजित करने की बात होने लगी थी जिसे केंद्र सरकार डिक्षत्व संपर्क नहीं हो पा रही थी अफगानिस्तान से अमेरिका के वापस लौटने के बाद इन बातों को और बल मिल गया कि रूस यूक्रेन के बीच युद्ध से यह बात बेमानी हो गई देखा जाए तो इस लड़ाई का आधार कोई एक दिन में तैयार नहीं हुआ तब वर्ष 1971 में सोवियत संघ 15 भागों में बांटा गया फिर भी यूक्रेन को आधुनिक उसके निर्माण का केंद्र मानता रहा उसे अपने अभिनय से के तौर पर देखता रहा सोवियत संघ के विघटन के बाद वारसा संधि के तहत बने सैन्य संगठन का तो अंत हो गया परंतु अमेरिका और पश्चिमी यूरोप शक्तियों द्वारा बनाए गए नाटक नामक सैन्य संगठन अपने अस्तित्व में बना रहा जबकि मिसाइल सेवार्थ के दौरान मुख्य तौर पर नाटो को स्थित वहीं करने का वचन दिया गया समय के साथ नाटो के सदस्य राष्ट्रों की संख्या भी बढ़ती गई पूर्वी रोकने संघ से निकले इसके तहत आ गए अमेरिका के नेतृत्व में दस्तक देने लगी तो वही गैस और तेल के भंडार दो राजनीतिक पुणे उभरने लगा वाल्दर पुनीत के नेतृत्व में ऐतिहासिक संगठन ने पढ़ने के बाद ©Ek villain #रूस यूक्रेन युद्ध में कहा है भारत #MusicLove