Nojoto: Largest Storytelling Platform

रात का रंग अपने कामिल शबाब पर था मैं भी आगोश की

रात का रंग

अपने कामिल शबाब पर था 
मैं भी आगोश की चादर ओढ़े 
तेरे साथ अपना वक्त बिताकर 
बस दिल-बस्तगी कर रहा था 
मैं चाहता तो था, ये रंग कभी गुम न हो 
लेकिन तुझे देखते-देखते पता नहीं 
कब ये हसीन रात-ए-क़मर ओझल हो गई

©Viraaj Sisodiya
  #रातकाअफ़साना #दिलबस्तगी #रातएक़मर #आग़ोश #कामिल #YourQuote #Viraaj