जी लेंगे हसीन लम्हों की आड़ में, निर्मल सी तेरी हसीं की चाह में, आग उधर भी सुलगी हो अगर, मिलना न टलेगा इस हँसी सफर में।। ।। खयालों की बस्ती ।। दिल में मेरे, तेरे खयालों की बस्ती बसी रही, ये इश्क़ की आग भी मुसलसल जलती रही। मुराद-ए-शिकवा कोई नहीं गुफ़्तुगू के सिवा, ऐ, सनम फ़िर मिलेंगे हम, अगर ज़िन्दगी रही।। © Sasmita Nayak