वजह जानकर भी नासमझ बन बैठे हो,, मेरी नब्ज़ की खबर है ,फिर भी बेखबर बन बैठे हो। मेरी परछाई से भी ज्यादा जानते हो मुझे, फिर भी दूर खड़े हो। इतने चेहरों में एक तुम्ही से वास्ता है, तुम जानते हो संकरा ये रास्ता है, साथ चलने को पीछे मुड़ के तुम्हे ढूंढ रहा हु, अब तो आँखें भी लगता है साथ नहीं देती है, इनसे भी ज्यादा तुम पे भरोसा है, और तुम आँखे चुरा के बैठे हो। @आज़ाद विचार कलम का जादू।