ज़रा सी नाराज़गी का कितना नुकसान हो गया है तेरी तस्वीर क्या हटाई मेरा कमरा वीरान हो गया है अरसे से नामुराद ने राब्ता भी मुझसे किया नहीं एक अजीज़ शक्श कितना अनजान हो गया है तुझ पर एक शेर, फिर एक शेर, फिर एक और शेर देखते देखते मेरा मुकम्मल दीवान हो गया है एक शक्श का जाना भी कितनी बड़ी बात है एक शक्श की कमी में शहर शमशान हो गया है याद है कितने करीब थे जब बातें करना मुश्किल था 'जग्गी' देखो कितने दूर हो जब सबकुछ आसान हो गया है ©Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...! #Alive #veeran