मुझे याद है मेरा बचपन वो आग जलाने वाला तसला, वो बाहर की ओर निकला छज्जा, दिसम्बर की सर्द रातों में दादा जी का वो आग जलाना, उस आग की राख में दादी का शकरकंद पकाना, फ़िर वो देर रात तक पिता जी से खूब डांट खाना मुझे याद है! ख़ैर, दिसम्बर तो आज भी वहीं है बस अब वो आग वाला तसला नहीं है वो पुराने घर का छज्जा भी नहीं है भले ही ये दुनिया मेरे पीछे खड़ी है लेकिन सर पर मेरे दादी दादा का हाथ नहीं है जब कभी सोचता हूँ, तो लगता है ज़माना बदल गया, या फिर मुझमे ही वो बात नहीं है.. ✨ #poem #love #grandfather #grandmother #missing