विपदा की घडी मे भीतर दिल रोये भला, बाहर से मुस्कुराना पड रहा है। ना हाथ चले ना कलम चले,फिर भी खुद को मजबूत बनाना पड रहा है। सरपट भागती दौडती ज़िंदगी को, मजबूरन रुक जाना पड रहा है। कुदरत की नाराजगी देखकर इंसान को डर जाना पड रहा है। रोज कमाने खाने वाले बेचारे को भी घर जाना पड रहा है। सब को हँसाने के लिए अपने आँसुओं को छुपाना पड रहा है। #coronavirus #longliveindia #sana #merikalamse #home #mom