के मेरी लफ्जों की स्याही बयान हुई है इस कागज़ पे... यह मेरी तमी के जो रंग... बिखेरे गए हैं मुझ पे तुम्हारे मृषा के कदम हजारों है इस पे... _रिटन बाय अंजली मृषा के रंग....