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मैं पहरेदार ही नहीं, जिम्मेदार भी

मैं पहरेदार ही नहीं, 
                जिम्मेदार भी हूं,
दिन ही नहीं, 
रात की भी निगेहबान हूँ।
खड़ी हो जाऊ बीच राह में,  
                रुक जाए हर राह,
गिर जाऊं गर छाती पर तो, 
                      निकल जाए आह्ह।
मुझसे है घर का वजूद, 
                        मुझसे तेरी शान,
हर शिकवा कबूल, 
               है मुझसे घर की आन।

©VINOD VANDEMATRAM #vTp दीवार
मैं पहरेदार ही नहीं, 
                जिम्मेदार भी हूं,
दिन ही नहीं, 
रात की भी निगेहबान हूँ।
खड़ी हो जाऊ बीच राह में,  
                रुक जाए हर राह,
गिर जाऊं गर छाती पर तो, 
                      निकल जाए आह्ह।
मुझसे है घर का वजूद, 
                        मुझसे तेरी शान,
हर शिकवा कबूल, 
               है मुझसे घर की आन।

©VINOD VANDEMATRAM #vTp दीवार