मैं तुम्हें याद नहीं करता बस तुम याद आ जातीं हो सुबह उठ देखूं जब अपनी हथेली तुम ही तो हाथो में मुस्कुराती हो.... लिखने लगू जब अहसास अपने तुम अल्फ़ाजो में समा जातीं हो पलकें मूंद कर जरा सोचू कुछ तुम ख़यालों में आ जातीं हो.... तन्हाई में जब रोते हैं दर्द मेरे तुम आके गले लगातीं हो हकीकत मे कही नहीं हो तुम इस सच का भी अहसास करातीं हो.... मैं तुम्हें याद नहीं करता बस तुम याद आ जातीं हो.... शब्दभेदी किशोर ©शब्दवेडा किशोर #याँदों_की_बारात