लत शुरू तो कर बैठा वो खुद को सबसे बेखबर किया किसी कोने में बैठे बैठे खुद को बर्बाद जो किया ना सोचा परिवार की धारा को ना ही समझा मन की माया को अरे वह तो खुद को ही ना समझ पाया तभी तो नशे का हाथ जो थाम लिया अब वह जो सह रहा ना किसी को कह पा रहा शुरू किया जिस लत को अब उसे ना संभाल पा रहा फिर भी शुरुआत की एक लत जो जलाई परिवर्तन की धारा जो बहाई महीनों की मेहनत ने ही आज फिर से उसे अपनी याद आई भूत की लत को आखिर अपने से अलग करवाई ©kirtesh #youth #drug #nojoto #poem