तुम्हें देखा नहीं कब से मिलें ख़ुद से नहीं तब से यों तो सामने हो तुम किसी अनुमान में हो तुम ये आरेख हैं नूतन नहीं पहचान में हो तुम मगर साँसों की गर्माहट ये सुस्त क़दम आहट ये कोलाज़ जज़्बाती कुछ कहते हैं साथी कुछ रंग खोए से खोई है कोई चाभी चमकता है बड़ा ताला ये दरवाज़े नहीं खुलते और तुम्हारा मौन! कि मिलके भी नहीं मिलते गिरह तो है नहीं कोई कोई सिलवट नहीं बोई रखकर तुम गए गुलदान में जो रजनीगंधा और जूही ज़िंदादिल!एहसास के ये फूल मुरझाते भी हैं कोई... देखो ज़ल्दी चले आना और खुलके मुस्कुराना खुलते नहीं ताले जो संधान से खुल जाते हैं कभी-कभी एक मीठी मुस्कयान से और लौट आना घर समझें देखो पहले साँझ से दरवाज़े के पार के किस्से साझा करना इत्मिनान से तुम्हें देखा नहीं कबसे... #देखानहीं #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #toyou #yqlock #yqlockdown #lifeinpandemic