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मैं रोक नहीं पाता खुद को खामखा ही दर्द देता हूँ.

मैं रोक नहीं पाता खुद को खामखा ही दर्द 
देता हूँ. 
जब मैं तेरी वटसप पर लगी तसवीर देख 
लेता हूँ. 
के तूझे भुलाने के लिए नशा शराब का करना तो 
जाहिर है मेरा. 
कब तक जाऊँगा यूँ पी पी कर मरना तो 
जाहिर है मेरा. 


            Singh Manpreet marna
मैं रोक नहीं पाता खुद को खामखा ही दर्द 
देता हूँ. 
जब मैं तेरी वटसप पर लगी तसवीर देख 
लेता हूँ. 
के तूझे भुलाने के लिए नशा शराब का करना तो 
जाहिर है मेरा. 
कब तक जाऊँगा यूँ पी पी कर मरना तो 
जाहिर है मेरा. 


            Singh Manpreet marna