महकी महकी थी गुलशने धीमी धीमी बरसात थी, पसरा था सन्नाटा हर ओर बस धड़कनो की आवाज थी, इस पल भी गैरों को याद करना क्या अज़ीयत थी भला, दिल को रहा सुकून की फिर शायरी वाली रात थी -देशांक शायरी वाली रात 🦠❤️