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हमारे सपनों का घर कुछ ऐसा है, खुशियों के बीते मधुर

हमारे सपनों का घर कुछ ऐसा है,
खुशियों के बीते मधुर पल सा है।
शीतल सी पवनें हों, वृक्षों की झुकी डाली हो।
घर के रिश्ते में मधुरता हो,घर मे खुशहाली हो।
सुबह उठें तो सूरज की किरणें बिखर रही हों
शाम की अँधियारी निशा को बुला रही हो ।
फिर माँ की लोरी मुझको सुला रही हो ।


#mohit_dwivedi #Sapne_ka_ghar
#mohit_dwivedi
हमारे सपनों का घर कुछ ऐसा है,
खुशियों के बीते मधुर पल सा है।
शीतल सी पवनें हों, वृक्षों की झुकी डाली हो।
घर के रिश्ते में मधुरता हो,घर मे खुशहाली हो।
सुबह उठें तो सूरज की किरणें बिखर रही हों
शाम की अँधियारी निशा को बुला रही हो ।
फिर माँ की लोरी मुझको सुला रही हो ।


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