आओ एक राजा किस्सा हम सुनाते हैं। अच्छे दिन का वादा कर सत्ता में आते हैं।। यूँ तो रहते हैं साहब विदेशों में ही। बस कभी-कभी वो अपने देश आते हैं।। ये सुनते नहीं हैं किसी की। बस अपने मन की बात सुनाते है।। न पूरी हुई और न ही पूरी होंगी। ये जो योजनाएं बहुत बनाते हैं।। वादा किया था जिसने न खाने देने का। आशीष वो देश का सबकुछ बेंच खाते हैं।। आओ एक राजा किस्सा हम सुनाते हैं। अच्छे दिन का वादा कर सत्ता में आते हैं।। यूँ तो रहते हैं साहब विदेशों में ही। बस कभी-कभी वो अपने देश आते हैं।। ये सुनते नहीं हैं किसी की। बस अपने मन की बात सुनाते है।।