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अकसर नकार दी जाती हूँ अपनें हीं हक और अधिकार से वं

अकसर नकार दी जाती हूँ
अपनें हीं हक और अधिकार से
वंचित रख दी जाती हूँ
मै अपनें हिस्सें के प्यार से

कोई नहीं पुछता क्या चाहती हो
क्या सोचा है,क्या पाना चाहती हो
राय माँगी जा रही है घर में सब से
क्या तुम भी कुछ कहना चाहती हो

दुतकार देते है सब एक क्षण में मुझें
किसी को आता नहीं क्यों मुझपर प्यार
क्यों नहीं बनाई जाती है नारी आज भी
सफलता और बराबरी में हकदार

बस अब नहीं ये प्रपंच मै चलनें दूँगी
बराबर खड़ी हूँ तो बराबर का हक लूँगी
आवाज नहीं अब औरत ललकार लगाएगी
ना बराबर समझा जिसको वो ऊपर उठ जाएगी

अपनें लुटतें हक पर अब औरत बोलेंगी
मै हूँ अभी ये हुंहकार अब आसमान तक डोलेगी
एक-एक चीज जो छुट गई है अधिकार सें
उठ खड़ी हुई नारी सब वापस ले लेगी।

©sayrana zindagi #Quotes #Woman
अकसर नकार दी जाती हूँ
अपनें हीं हक और अधिकार से
वंचित रख दी जाती हूँ
मै अपनें हिस्सें के प्यार से

कोई नहीं पुछता क्या चाहती हो
क्या सोचा है,क्या पाना चाहती हो
राय माँगी जा रही है घर में सब से
क्या तुम भी कुछ कहना चाहती हो

दुतकार देते है सब एक क्षण में मुझें
किसी को आता नहीं क्यों मुझपर प्यार
क्यों नहीं बनाई जाती है नारी आज भी
सफलता और बराबरी में हकदार

बस अब नहीं ये प्रपंच मै चलनें दूँगी
बराबर खड़ी हूँ तो बराबर का हक लूँगी
आवाज नहीं अब औरत ललकार लगाएगी
ना बराबर समझा जिसको वो ऊपर उठ जाएगी

अपनें लुटतें हक पर अब औरत बोलेंगी
मै हूँ अभी ये हुंहकार अब आसमान तक डोलेगी
एक-एक चीज जो छुट गई है अधिकार सें
उठ खड़ी हुई नारी सब वापस ले लेगी।

©sayrana zindagi #Quotes #Woman