यों तो कुछ नहीं होता इस पूरे शून्य में तू सही होता धड़कता वक़्त तेरी साँसों में एक तलब सी हर घड़ी होता बन्द आँखों में रोशन सा तू खुली पलकों में ज़िन्दगी होता अपनी रईसी मुठ्ठी में समेटे तुम तक भाग आता मैं तेरी नज़र भर पड़े कि हथेली पर मेरे चाँद ही होता एक नदी सी बह निकलती दोनों ज़ानिब से...बैठते पाँव डाले दोनों सब साझा किए से साँझ ढलती, रात खिलती और दिन वहीं होता #toyou#yqreflections#yqpet#yqpal#yqlove#yqsittingwith