इस दिल की ख़ता का, यहाँ गुनाहगार कौन है। सब तो शरीफ़ है फिर, यहाँ कसूरवार कौन है। ढूंढते फिरते हैं सब, जाने कौन सा ख़ुदा यहाँ। खुद ख़ुदा सोच में पड़ा, मेरा तलबगार कौन है। रिश्ते नाते सब दिखावे के, मतलबी दुनिया सारी। अपनों की तलाश बेमानी, मेरा हक़दार कौन है। झूठ-फ़रेब की इंतहा हो गई, दिल मेरा भर गया। थककर बैठा हूँ अब यहाँ, मेरा मददगार कौन है। सोचा न था ये दिन आएगा, मंज़र खौफ़नाक है। तन्हा बीत रहा हूँ हरपल, अब मेरा यार कौन है। इस दिल की ख़ता का, यहाँ गुनाहगार कौन है। सब तो शरीफ़ है फिर, यहाँ कसूरवार कौन है। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1113 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ इस महीने दिल खोलकर लिखें। 😊 #दिलकीख़ता #मुख्यप्रतियोगिता #KKC1113 #YQDIDI #कोराकाग़ज़ #अल्फ़ाज़_ए_साहिल #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़