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खत में मैंने लिखा कि डर लगता है वो पढ़ना चाहेगा इस

खत में मैंने लिखा कि डर लगता है वो पढ़ना चाहेगा इस खत को 
   या रखा रहेगा बिन पढ़ा किसी किताब के वरक़ो में 
      
            लिखे अल्फाजों को वो महज अल्फाजही समझेगा   
             या पढ़ पाएगा मेरे जज़्बातो को भी 

लिखें है मैंने कई राज अपने, ख़्वाब अपने 
कुछ शोर होगा उस खत में या खामोशी ही राज करेगी उस पर 

खत में मैंने लिखा है कि 
खत को खत की तरह समझेगा वो 
या फँस जाएगा किसी निबंध में 
सुन पाएगा केवल मेरी झूठी हँसी 
या पहुँचेगा कभी मेरी आँखों तक #Khat
खत में मैंने लिखा कि डर लगता है वो पढ़ना चाहेगा इस खत को 
   या रखा रहेगा बिन पढ़ा किसी किताब के वरक़ो में 
      
            लिखे अल्फाजों को वो महज अल्फाजही समझेगा   
             या पढ़ पाएगा मेरे जज़्बातो को भी 

लिखें है मैंने कई राज अपने, ख़्वाब अपने 
कुछ शोर होगा उस खत में या खामोशी ही राज करेगी उस पर 

खत में मैंने लिखा है कि 
खत को खत की तरह समझेगा वो 
या फँस जाएगा किसी निबंध में 
सुन पाएगा केवल मेरी झूठी हँसी 
या पहुँचेगा कभी मेरी आँखों तक #Khat