बैठा दिल,दिमाग ,ख्वाब,ख्वाइशों, जिम्मेदारियों का एक अधिवेशन.... ख्वाइशों के पर काटे गए , ख्वाब तो निस्कासित कर दिए गए, दिल की दिमाग ने चलने न दी। अतः जिम्मेदारीयों को कंधो की कुर्सियों पर बड़े शौक के साथ बिठा दिया ।। #thirdquote #ख्वाब_ए_हकीकत #कहानी #कविताएँज़िंदारहतीहैं